प्यार के बहुत चेहरे हैं

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मैं उसे प्यार करता
यदि वह
ख़ुद वह होती

मैं अपना हृदय खोल देता
यदि वह
अपने भीतर खुल जाती

मैं उसे छूता
यदि वह देह होती
और मेरे हाथ होते मेरे भाव!

मैं उसे प्यार करता
यदि मैं पत्ता या हवा होता
या मैं ख़ुद को नहीं जानता
मैं जब डूब रहा था
वह उभर रही थी
जिस पल उसकी झलक दिखी

मैं कभी-कभी डूब रहा हूँ
वह अभी-अभी अपने भीतर उभर रही है

मैं उसे प्यार करता
यदि वह जानती
मैं ख़ामोशी की लय में अकेला उसे प्यार करता हूँ
प्यार के बहुत चेहरे हैं।

नवीन सागर
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नवीन सागर (1948-2000) हिंदी के उल्लेखनीय कवियों में से एक हैं। आपकी कृतियाँ नींद से लंबी रात, उसका स्कूल, आसमान भी दंग अपने पाठकों के बीच ख़ासी लोकप्रिय हैं।

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