जो नहीं हुआ
दुःख उसका नहीं
जो हुआ उसका दुःख है
उसका दुःख
घेरे है
जो हो रहा है उसके बाहर घेरे है
बहुत बड़ी दुनिया में
एक छोटा-सा कंकड़ हिलकर रह जाता है
जिसकी ओट में
बहुत बड़ा अपना जीवन गुज़रता है
जो बाक़ी रह गया वही सब कुछ
जो हुआ उसके बाहर हुआ
कौन मैं क्यों हो गया
कोई क्यों नहीं हुआ
मुझे क्यों पता है कि
वास्तविकता वास्तविक नहीं है!
कुछ नहीं हुआ
न होने को रहा
क्या पता किस बात का दुःख रहा
डूबता हुआ कंकड़ हूँ
जो लहरें उठ रही हैं उनकी झलक में
मेरे जीवन की कथा है।

नवीन सागर
नवीन सागर (1948-2000) हिंदी के उल्लेखनीय कवियों में से एक हैं। आपकी कृतियाँ नींद से लंबी रात, उसका स्कूल, आसमान भी दंग अपने पाठकों के बीच ख़ासी लोकप्रिय हैं।