असंबद्ध

1 min read
कविता : असंबद्ध

कितनी ही पीड़ाएँ हैं
जिनके लिए कोई ध्वनि नहीं
ऐसी भी होती है स्थिरता
जो हूबहू किसी दृश्य में बंधती नहीं

ओस से निकलती है सुबह
मन को गीला करने की जि़म्मेदारी उस पर है
शाम झाँकती है बारिश से
बचे-खुचे को भिगो जाती है

धूप धीरे-धीरे जमा होती है
क़मीज़ और पीठ के बीच की जगह में
रह-रहकर झुलसाती है

माथा चूमना
किसी की आत्मा चूमने जैसा है
कौन देख पाता है
आत्मा के गालों को सुर्ख़ होते

दुख के लिए हमेशा तर्क तलाशना
एक ख़राब किस्म की कठोरता है

गीत चतुर्वेदी
+ posts

गीत चतुर्वेदी (जन्म - 1977) की पहचान हिंदी साहित्य में चर्चित उपन्यासकार, लघु कथा लेखक एवं कवि के रूप में है. आपको अवधी लेखक के रूप में भी जाना जाता है. आपको भारत भूषण अग्रवाल सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.

गीत चतुर्वेदी (जन्म - 1977) की पहचान हिंदी साहित्य में चर्चित उपन्यासकार, लघु कथा लेखक एवं कवि के रूप में है. आपको अवधी लेखक के रूप में भी जाना जाता है. आपको भारत भूषण अग्रवाल सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है.

नवीनतम

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो

कोरोना काल में

समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन

भूख से आलोचना

एक मित्र ने कहा, ‘आलोचना कभी भूखे पेट मत करना। आलोचना पेट से नहीं दिमाग से