जब मैंने
भूख को भूख कहा
प्यार को प्यार कहा
तो उन्हें बुरा लगा
जब मैंने
पक्षी को पक्षी कहा
आकाश को आकाश कहा
वृक्ष को वृक्ष
और शब्द को शब्द कहा
तो उन्हें बुरा लगा
परन्तु जब मैंने
कविता के स्थान पर
अकविता लिखी
औरत को
सिर्फ़ योनि बताया
रोटी के टुकड़े को
चांद लिखा
स्याह रंग को
लिखा गुलाबी
काले कव्वे को
लिखा मुर्गाबी
तो वे बोले-
वाह ! भई वाह !!
क्या कविता है
भई वाह !!

अमरजीत कौंके
डा.अमरजीत कौंके (जन्म: अगस्त 1964), पंजाबी और हिंदी कवि, अनुवादक और पंजाबी की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका " प्रतिमान " के संपादक हैं। साहित्य अकादमी, दिल्ली की ओर से वर्ष 2016 के लिए अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित हैं ।