तय करो किस ओर हो तुम

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तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो।
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो।।

ख़ुद को पसीने में भिगोना ही नहीं है ज़िन्दगी,
रेंग कर मर-मर कर जीना ही नहीं है ज़िन्दगी,
कुछ करो कि ज़िन्दगी की डोर न कमज़ोर हो।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो।।

खोलो आँखें फँस न जाना तुम सुनहरे जाल में,
भेड़िए भी घूमते हैं आदमी की खाल में,
ज़िन्दगी का गीत हो या मौत का कोई शोर हो।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो।।

सूट और लंगोटियों के बीच युद्ध होगा ज़रूर,
झोपड़ों और कोठियों के बीच युद्ध होगा ज़रूर,
इससे पहले युद्ध शुरू हो, तय करो किस ओर हो।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो।।

तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो।
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो।।

बल्ली सिंह चीमा

बल्ली सिंह चीमा (जन्म 2 सितंबर 1952) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि हैं और वर्तमान में आम आदमी पार्टी के राजनेता हैं। चीमा जी को 'देवभूमि रतन सम्मान' (2004), 'कुमाऊँ गौरव सम्मान' (2005), 'पर्वतीय शिरोमणि सम्मान' (2006), 'कविता कोश सम्मान' (2011) से सम्मानित किया गया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जटिल चुनौती को पूरी रचनात्मक सक्रियता से स्वीकार करने वाले बल्ली सिंह चीमा को 'गंगाशरण सिंह पुरस्कार' से सम्मानित करके 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' ने भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया है।

बल्ली सिंह चीमा (जन्म 2 सितंबर 1952) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि हैं और वर्तमान में आम आदमी पार्टी के राजनेता हैं। चीमा जी को 'देवभूमि रतन सम्मान' (2004), 'कुमाऊँ गौरव सम्मान' (2005), 'पर्वतीय शिरोमणि सम्मान' (2006), 'कविता कोश सम्मान' (2011) से सम्मानित किया गया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन की जटिल चुनौती को पूरी रचनात्मक सक्रियता से स्वीकार करने वाले बल्ली सिंह चीमा को 'गंगाशरण सिंह पुरस्कार' से सम्मानित करके 'केंद्रीय हिंदी संस्थान' ने भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया है।

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