इस दुनिया में
आने-जाने के लिए
अगर एक ही रास्ता होता
और नज़र चुराकर
बच निकलने के हज़ार रास्ते
हम निकाल नहीं पाते
तो वही एकमात्र रास्ता
हमारा प्रायश्चित होता
और ज़िंदगी में लौटने का
नैतिक साहस भी…

हेमंत देवलेकर
हेमंत देवलेकर (जन्म - 11 जुलाई 1972) कवि के साथ-साथ समर्थ रंगकर्मी भी हैं. उनका दूसरा कविता संग्रह ‘गुल मकई’ बोधि प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है.