मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते

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मंज़िल पे पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते
दो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते

इक हम हैं कि ग़ैरों को भी कह देते हैं अपना
इक तुम हो कि अपनों को भी अपना नहीं कहते

कम-हिम्मती ख़तरा है समुंदर के सफ़र में
तूफ़ान को हम दोस्तो ख़तरा नहीं कहते

बन जाए अगर बात तो सब कहते हैं क्या क्या
और बात बिगड़ जाए तो क्या क्या नहीं कहते

नवाज़ देवबंदी
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नवाज़ देवबंदी उर्दू ग़ज़ल के बड़े व मशहूर शायरों में से एक हैं। आपकी कई ग़ज़लों को जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है।

नवाज़ देवबंदी उर्दू ग़ज़ल के बड़े व मशहूर शायरों में से एक हैं। आपकी कई ग़ज़लों को जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है।

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