मेरे बालों में रूसियाँ थीं
तब भी उसने मुझे प्यार किया
मेरी काँखों से आ रही थी पसीने की बू
तब भी उसने मुझे प्यार किया
मेरी साँसों में थी, बस, जीवन-गन्ध
तब भी उसने मुझे प्यार किया
मेरे साधारण कपड़े
किसी साधारण डिटर्जेंट से धुले थे
जूतों पर फैली थी सड़क की धूल
मैं पैदल चलकर गया था उसके पास
और उसने मुझे प्यार किया
नजर के चश्मे का मेरा सस्ता फ्रेम
बेहद पुराना हो गया था
कंधे पर लटका झोला बदरँग हो गया था
मेरी जेब में था सबसे सस्ता मोबाइल
फिर भी उसने मुझे प्यार किया
एक बाजार से गुजरे
जिसने हमें अपनी दमक में
शामिल करने से इन्कार कर दिया
एक खूबसूरत पार्क में गए
जहाँ मेरे कपड़े और मैले दिखने लगे
हमारे पास खाने का चमकदार पैकेट नहीं था
हमने वहाँ सार्वजनिक नल से पानी पिया
और प्यार किया!

मदन कश्यप
मदन कश्यप (जन्म - 1954) हमारे समय के शीर्षस्थ कवियों में से एक हैं. आप अपने कवि कर्म के चलते 'नागार्जुन पुरस्कार', 'केदार सम्मान', 'शमशेर सम्मान' और 'बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान' से भी सम्मानित हैं.
