डबाडबा गई है तारों-भरी
शरद से पहले की यह
अँधेरी नम
रात ।
उतर रही है नींद
सपनों के पंख फैलाए
छोटे-मोटे ह्ज़ार दुखों से
जर्जर पंख फैलाए
उतर रही है नींद
हत्यारों के भी सिरहाने ।
हे भले आदमियों !
कब जागोगे
और हथियारों को
बेमतलब बना दोगे ?
हे भले आदमियों !
सपने भी सुखी और
आज़ाद होना चाहते हैं ।

गोरख पाण्डेय
गोरख पाण्डेय ( 1945 - 1989 ) हिंदी में प्रगतिशील कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं. आपको आपकी प्रमुख कृतियाँ स्वर्ग से बिदाई, समय का पहिया, लोहा गरम हो गया है के लिए याद किया जाता है.