किसी के प्रेम में पड़ जाने की
सही-सही वजह नहीं बता पातीं
कभी भी स्त्रियाँ
जबकि पुरुषों के पास होते हैं
एक सौ एक कारण
स्त्रियों के पास
अपने प्रेम के पात्र की ख़ूबियों,
खामियों का कोई गणित नहीं होता
सखियों को टालने के लिये
यूँ ही बता देती हैं
किसी उपन्यास या फ़िल्म के नायक को ध्यान में रख कर
चार बातें
मैं एक चिकित्सक स्त्री को जानती हूँ
जो पड़ गयी थी किसी लोहार के प्रेम में
जब उसके घोड़े की नाल ठोकते हुए
यूँ सहलाया उस लोहार ने घोड़े का खुर,
जैसे वो सोचती थी
उसे सहलायेगा उसका पुरुष
प्रथम संसर्ग के समय
और जानती हूँ एक धार्मिक सद्गृहस्था को
जो दे बैठी थी हृदय
नास्तिकता पर व्याख्यान करते किसी ओजस्वी वक्ता को,
और देवों से मांगती थी
बस एक आकस्मिक भेंट का वरदान
या एक मध्य आयु की एक क्रांतिकारी नेत्री को
जिसने दिल में बसाया हुआ था
प्रेम की औसत कविताएँ लिखने वाले
एक रसिक कवि को
स्त्री के भीतर स्त्री से ही प्रच्छन्न हज़ार स्थल होते हैं
कब, कहाँ और कैसे छूना है
यह जानने के लिये दूसरी स्त्री होना पड़ेगा तुम्हें
प्रिय पुरुष।
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सुदर्शन शर्मा
सुदर्शन शर्मा पिंड मलौट, पंजाब से हैं और इन दिनों राजस्थान में रहती हैं। आप इन दिनों अध्यापन से जुड़ी हुई हैं। आपकी पहला काव्य संग्रह ‘तीसरी कविता की अनुमति नहीं’ इन दिनों अपने पाठकों के बीच हैं। आपसे sudarshan.darshan.sharma@gmail.com पे बात की जा सकती है।