तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही थी पसीने की बू तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी साँसों में थी, बस, जीवन-गन्ध

More

हमारी रीढ़ मुड़ चुकी है

हमारी रीढ़ मुड़ चुकी है “मैं” के बोझ से खड़े होने की कोशिश में औंधे मुंह गिर जाएंगे, खड़े होने की जगह पर खड़ा होना ही मनुष्य होना है। हमने मनुष्यता की परिभाषा चबाई

More

रुश्दी के नाम ख़त

यह पहली दफ़ा नहीं है कि जब किसी ‘सलमान‘ ने मुझे मायूस किया है। सऊदी के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने दुनियाभर में, अपनी सल्तनत चलाने के लिए  ग़ैरक़ानूनी तरीकों को न

More

भारत में राजद्रोह कानून की ज़रूरत; कितनी सही-कितनी ग़लत?

//

1949 में जब भारत ने अपना संविधान अपनाया और 1950 में इसे लागू किया गया, तब यह किसी अनजाने भरोसे की तरह था। हैरानी की बात है कि 70 सालों से ज़्यादा

More

नेताजी हिंदुत्व के समर्थक नहीं; विरोधी थे!

/

आरएसएस और बीजेपी का स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं की तरफ़ झुकाव, उनके सिद्धांतों —  मसलन साम्राज्यवाद का विरोध, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की वज़ह से नहीं है। उनका यह लगाव इसलिए है क्योंकि

More

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की गुहार। केसर-क्यारी से बहकी हिरना साँवरी ठुमुक-ठुमुक चले कहीं रुके नहीं पाँव री कहाँ तेरा हाट-बाट

More

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप की बात करने वाले डरते हैं! मत डरिए, चाहे जितना पाप करें आप उतना पाप करें

More

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो हमारे ये दीवार थी पारदर्शी इसे वक्त ने कर दिया शब्द तुम ले चली गुनगुनाते हुए

More

स्वप्न में तुम हो, तुम्हीं हो जागरण में

स्वप्न में तुम हो तुम्हीं हो जागरण में कब उजाले में मुझे कुछ और भाया, कब अंधेरे ने तुम्हें मुझसे छिपाया, तुम निशा में औ’ तुम्हीं प्रात: किरण में; स्वप्न में तुम

More
1 2 3 61