मैंने पहली बार महसूस किया है कि नंगापन अन्धा होने के खिलाफ़ एक सख्त कार्यवाही है उस औरत की बगल में लेटकर मुझे लगा कि नफ़रत और मोमबत्तियाँ जहाँ बेकार साबित हो
मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही थी पसीने की बू तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी साँसों में थी, बस, जीवन-गन्ध
Moreहमारी रीढ़ मुड़ चुकी है “मैं” के बोझ से खड़े होने की कोशिश में औंधे मुंह गिर जाएंगे, खड़े होने की जगह पर खड़ा होना ही मनुष्य होना है। हमने मनुष्यता की परिभाषा चबाई
Moreयह पहली दफ़ा नहीं है कि जब किसी ‘सलमान‘ ने मुझे मायूस किया है। सऊदी के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने दुनियाभर में, अपनी सल्तनत चलाने के लिए ग़ैरक़ानूनी तरीकों को न
More1949 में जब भारत ने अपना संविधान अपनाया और 1950 में इसे लागू किया गया, तब यह किसी अनजाने भरोसे की तरह था। हैरानी की बात है कि 70 सालों से ज़्यादा
Moreआरएसएस और बीजेपी का स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं की तरफ़ झुकाव, उनके सिद्धांतों — मसलन साम्राज्यवाद का विरोध, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की वज़ह से नहीं है। उनका यह लगाव इसलिए है क्योंकि
Moreतुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो थोड़ी और तेज, और तेज यार, थोड़ी सी चाल तेज करो हाथ जो मिला था इन्कलाब के लिये, कुर्सी के लिए
Moreतुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो हमारे ये दीवार थी पारदर्शी इसे वक्त ने कर दिया शब्द तुम ले चली गुनगुनाते हुए
Moreस्वप्न में तुम हो तुम्हीं हो जागरण में कब उजाले में मुझे कुछ और भाया, कब अंधेरे ने तुम्हें मुझसे छिपाया, तुम निशा में औ’ तुम्हीं प्रात: किरण में; स्वप्न में तुम
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