डायरी लिखना

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कविता : डायरी लिखना

डायरी लिखना एक कवि के लिए सबसे मुश्किल काम है।

कवि जब भी अपने समय के बारे में डायरी लिखना शुरू करता है
अरबी कवि समीह-अल-कासिम की तरह लिखने लगता है
कि मेरा सारा शहर नेस्तनाबूत हो गया
लेकिन घड़ी अब भी दीवाल पर मौजूद है।

सारी सच्चाई किसी न किसी रूपक में बदल जाती है
कहना मुश्किल है कि यह कवि की दिक़्क़त है या उसके समय की
जो इतना उलझा हुआ, अबूझ और अँधेरा समय है
कि एक सीधा-सादा वाक्य भी साँप की तरह बल खाने लगता है।
वह अर्धविराम और पूर्णविराम के साथ एक पूरा वाक्य लिखना चाहता है
वह हर बार अहद करता है कि किसी रूपक या बिम्ब का
सहारा नहीं लेगा
संकेतों की भाषा के क़रीब भी नहीं फटकेगा।
लेकिन वह जब जब कोशिश करता है
उसकी क़लम सफ़े पर इतने धब्बे छोड़ जाती है
कि सारी इबारत दागदार हो जाती है।

हालाँकि वह जानता है कि डायरी को डायरी की तरह लिखते हुए भी
हर व्यक्ति कुछ न कुछ छिपा ही जाता है
इतनी चतुराई से वह कुछ बातों को छिपाता है
कि पता लगाना मुश्किल है कि वह क्या छिपा रहा है
कवि फ़क़त दूसरों से ही नहीं ,
अपने आप से भी कुछ न कुछ छिपा रहा होता है
जैसे वह अपनी ही परछाई में छिप रहा हो।

एक कवि के लिए डायरी लिखना सबसे मुश्किल काम है।
भाषा को बरतने की उसकी आदतें उसका पीछा कभी नहीं छोड़तीं
वह खीज कर क़लम रख देता है और डायरी को बंद कर के
एक तरफ़ सरका देता है।

एक दिन लेकिन जब वह अपनी पुरानी डायरी को खोलता है
तो पाता है कि समय की दीमक ने डायरी के पन्नों पर
ना समझ में आने वाली ऐसी कुछ इबारत लिख डाली है
जैसे वही कवि के समय के बारे में
लिखा गया सबसे मुकम्मिल वाक्य हो

राजेश जोशी
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राजेश जोशी (जन्म १९४६) साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी साहित्यकार हैं। उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ केन्द्र साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है।

राजेश जोशी (जन्म १९४६) साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी साहित्यकार हैं। उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ केन्द्र साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है।

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