न रवा कहिए न सज़ा कहिए

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ग़ज़ल : न रवा कहिए न सज़ा कहिए

न रवा कहिये न सज़ा कहिये
कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये

दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़
इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये

वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं
मानता ही न था ये क्या कहिये

आ गई आप को मसिहाई
मरने वालो को मर्हबा कहिये

होश उड़ने लगे रक़ीबों के
“दाग” को और बेवफ़ा कहिये

दाग़ देहलवी
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नवाब मिर्ज़ा खान दाग़ देहलवी (25मई 1831 - 17 मार्च 1905) अपने उर्दू ग़ज़लों के लिए जाने वाले शायर थे। वह पुरानी दिल्ली के उर्दू शायरी से ताल्लुक रखते थे।

नवाब मिर्ज़ा खान दाग़ देहलवी (25मई 1831 - 17 मार्च 1905) अपने उर्दू ग़ज़लों के लिए जाने वाले शायर थे। वह पुरानी दिल्ली के उर्दू शायरी से ताल्लुक रखते थे।

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