आए हैं समझाने लोग

1 min read
ग़ज़ल : आए हैं समझाने लोग

आए हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग

वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने-पहचाने लोग

जैसे हम इन में पीते हैं
लाए हैं पैमाने लोग

फ़र्ज़ानों से क्या बन आए
हम तो हैं दीवाने लोग

अब जब मुझ को होश नहीं है
आए हैं समझाने लोग

दैर-ओ-हरम में चैन जो मिलता
क्यूँ जाते मयख़ाने लोग

जान के सब कुछ कुछ भी जानें
हैं कितने अनजाने लोग

जीना पहले ही उलझन था
और लगे उलझाने लोग

कुँवर महेंद्र सिंह बेदी ‘सहर’

कुँवर महेंद्र सिंह बेदी ‘सहर’ भारतीय उर्दू शायर थे। वे दिल्ली में प्रशासनिक सेवा के आला अफसर थे और मुशायरों के सिद्धहस्त शायर माने जाते थे।

कुँवर महेंद्र सिंह बेदी ‘सहर’ भारतीय उर्दू शायर थे। वे दिल्ली में प्रशासनिक सेवा के आला अफसर थे और मुशायरों के सिद्धहस्त शायर माने जाते थे।

नवीनतम

मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो