आए हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने-पहचाने लोग
जैसे हम इन में पीते हैं
लाए हैं पैमाने लोग
फ़र्ज़ानों से क्या बन आए
हम तो हैं दीवाने लोग
अब जब मुझ को होश नहीं है
आए हैं समझाने लोग
दैर-ओ-हरम में चैन जो मिलता
क्यूँ जाते मयख़ाने लोग
जान के सब कुछ कुछ भी न जानें
हैं कितने अनजाने लोग
जीना पहले ही उलझन था
और लगे उलझाने लोग

कुँवर महेंद्र सिंह बेदी ‘सहर’
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी ‘सहर’ भारतीय उर्दू शायर थे। वे दिल्ली में प्रशासनिक सेवा के आला अफसर थे और मुशायरों के सिद्धहस्त शायर माने जाते थे।