वो जिसके हाथ में छाले हैं

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ग़ज़ल : अदम गोंडवी

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है

इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है

रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है

अदम गोंडवी
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अदम गोंडवी (राम नाथ सिंह ; 22 अक्टूबर 1947 - 18 दिसंबर 2011) अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश के एक भारतीय कवि थे। उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है.उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है। उनके काव्य संग्रह धरती की सता पार (पृथ्वी की सतह) और सामे से मुथबेड़े (समय के साथ मुठभेड़) काफी लोकप्रिय हैं। 

अदम गोंडवी (राम नाथ सिंह ; 22 अक्टूबर 1947 - 18 दिसंबर 2011) अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश के एक भारतीय कवि थे। उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है.उन्होंने हिंदी में कविता लिखी, जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती है। उनके काव्य संग्रह धरती की सता पार (पृथ्वी की सतह) और सामे से मुथबेड़े (समय के साथ मुठभेड़) काफी लोकप्रिय हैं। 

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