विचलन तो दूर की बात है
डर की एक लौ भी नहीं छूती उन्हें
उन्होंने पढ़ रखी है गीता
वे मार सकते हैं स्वजनों को
वे जानते हैं तुम्हें
कि तुम लाचार हो कितने कि विनम्र हो
जो अक्सर हास्य
रीझे तो व्यंग्य कर सकते हो।

कुमार मुकुल
कुमार मुकुल भोजपुर, बिहार से हैं और हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। आपका मूल नाम अमरेन्द्र कुमार है। समुद्र के आँसू, परिदृश्य के भीतर, सभ्यता और जीवन आपकी कुछ प्रमुख कृतियों में से एक हैं।