राजनीतिज्ञ

1 min read
कविता : राजनीतिज्ञ कुमार मुकुल

विचलन तो दूर की बात है
डर की एक लौ भी नहीं छूती उन्हें
उन्होंने पढ़ रखी है गीता
वे मार सकते हैं स्वजनों को
वे जानते हैं तुम्हें
कि तुम लाचार हो कितने कि विनम्र हो
जो अक्सर हास्य
रीझे तो व्यंग्य कर सकते हो।

कुमार मुकुल
+ posts

कुमार मुकुल भोजपुर, बिहार से हैं और हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। आपका मूल नाम अमरेन्द्र कुमार है। समुद्र के आँसू, परिदृश्य के भीतर, सभ्यता और जीवन आपकी कुछ प्रमुख कृतियों में से एक हैं।

कुमार मुकुल भोजपुर, बिहार से हैं और हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। आपका मूल नाम अमरेन्द्र कुमार है। समुद्र के आँसू, परिदृश्य के भीतर, सभ्यता और जीवन आपकी कुछ प्रमुख कृतियों में से एक हैं।

नवीनतम

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो

कोरोना काल में

समझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन

भूख से आलोचना

एक मित्र ने कहा, ‘आलोचना कभी भूखे पेट मत करना। आलोचना पेट से नहीं दिमाग से