हम समय की नदी तैर कर आ गए अब खड़े हैं जहाँ वह जगह कौन है। तोड़ते-जोड़ते हर नियम, उपनियम उत्सवों के जिए साँस-दर-साँस हम एक पूरी सदी तैर कर आ गए अब खड़े हैं जहाँ वह सतह कौन है। होंठ पर थरथराती हँसी रोप कर आँसुओं को पिया आँख में उम्र भर हम कठिन त्रासदी तैर कर आ गए अब खड़े हैं जहाँ नागदह कौन है।

माहेश्वर तिवारी
माहेश्वर तिवारी (जन्म – 22 जुलाई 1939) हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार हैं. आपकी रचनायें सभी प्रमुख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा कई समवेत संग्रहों में प्रकाशित हैं.