तुम नहीं थे
एक ख़ालीपन था
गहरे पग-चिह्न लिए
दूर तक रेत थी
और कुछ भी नहीं था
जहाँ मैं थी
वहाँ मैं नहीं थी
बची हुई नमी लिए
लुप्त होती एक नदी थी
और कुछ भी नहीं था
जहाँ हम थे
वहाँ ‘कुछ नहीं’ के शोर के भीतर
नदी, पेड़, फूल
और
चिड़ियों की भाषा में
था
अवगुंठित प्रेम

सौम्या सुमन
सौम्या सुमन (जन्म - 21 फ़रवरी), मूलतः पटना से हैं. आप मौज़ूदा समय की समर्थ व सशक्त आवाज़ों में से एक हैं. आपकी रचनायें समय-समय पे देश के विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं पे प्रकाशित होती रहती हैं. आपका पहला कविता संग्रह, नदी चुप है, इन दिनों अपने पाठकों के बीच है. आपसे sumansinha212@gmail.com पे बात की जा सकती है.