चुप्पा आदमी

1 min read

आदमी के चुप रहने का मतलब यह तो नहीं
कि उसके भीतर कोई हलचल नहीं है
फिर भी उन्हें पसंद है चुप्पा आदमी

चुप रहने से बाहर सब कुछ शांत रहता है
व्यवस्था उसके चुप रहने का इतना अभ्यस्त होती है
कि उसे बोलने मात्र के लिए सज़ा दी जा सकती है

मगर ‘चुप रहने में ही भलाई’ बिल्कुल नहीं है

चुप्पे आदमी की जमीन सबसे पहले छीनी जाती है
और मुआवजा भी नहीं या नहीं के बराबर दिया जाता है

किसी भी आपदा में सबसे पहले
और सबसे ज्यादा मारे जाते हैं चुप्पे लोग !

मदन कश्यप

मदन कश्यप (जन्म - 1954) हमारे समय के शीर्षस्थ कवियों में से एक हैं. आप अपने कवि कर्म के चलते 'नागार्जुन पुरस्कार', 'केदार सम्मान', 'शमशेर सम्मान' और 'बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान' से भी सम्मानित हैं.

मदन कश्यप (जन्म - 1954) हमारे समय के शीर्षस्थ कवियों में से एक हैं. आप अपने कवि कर्म के चलते 'नागार्जुन पुरस्कार', 'केदार सम्मान', 'शमशेर सम्मान' और 'बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान' से भी सम्मानित हैं.

नवीनतम

मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो