//

निज़ार क़ब्बानी की कविताएँ

1 min read
निज़ार क़ब्बानी की कविताएँ

1.
लालटेन से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है प्रकाश
नोटबुक से ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं कविताएँ
और होठों से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं चुम्बन

तुम्हारे लिए
लिखे गए मेरे ख़त
ज्यादा महत्वपूर्ण हैं हमदोनों से

वे एकमात्र दस्तावेज़ है
जहाँ लोग पाएँगे
दर्ज़ किया गया
तुम्हारा सौंदर्य और मेरा पागलपन।

2.
मैं तुम्हारे दूसरे प्रेमियों सा नहीं हूँ
मेरी प्रिये
अगर वह तुम्हें बादल देता है
तो मैं दूँगा तुम्हें बारिश
अगर वह देता है तुम्हें चिराग़
तो मैं दूँगा तुम्हें पूरा का पूरा चाँद
अगर वह तुम्हें एक टहनी सौंपता है
तो मैं रख दूँगा तुम्हारे सामने पूरा दरख़्त
अगर वो देता है तुम्हें जहाज़
तो मैं दूँगा तुम्हें एक सुंदर सफ़र।

3.
एक लंबे अंतराल के बाद
हर बार, जब मैं तुम्हें चूमता हूँ
मैं महसूसता हूँ
जैसे लाल रंग के लेटरबॉक्स में
जल्दी-जल्दी में डाल रहा एक प्रेम पत्र।

4.
मैंने तुम्हें चुनने का अवसर दिया है
इसलिये चुनो
तुम कहाँ मरना पसंद करोगी?
मेरे सीने पर
या मेरी कविताओं के पन्नों के बीच।

[ अनुवाद –  गौरव गुप्ता ] 

निज़ार क़ब्बानी

निज़ार तौफ़ीक़ क़ब्बानी (21 मार्च 1923 - 30 अप्रैल 1998) एक सीरियाई राजनयिक, कवि, लेखक और प्रकाशक थे। उनकी काव्य शैली प्रेम, कामुकता, नारीवाद, धर्म और अरब राष्ट्रवाद के विषयों की खोज में सादगी और लालित्य को जोड़ती है। क़ब्बानी अरब जगत के सबसे सम्मानित समकालीन कवियों में से एक हैं और उन्हें सीरिया का राष्ट्रीय कवि माना जाता है ।

निज़ार तौफ़ीक़ क़ब्बानी (21 मार्च 1923 - 30 अप्रैल 1998) एक सीरियाई राजनयिक, कवि, लेखक और प्रकाशक थे। उनकी काव्य शैली प्रेम, कामुकता, नारीवाद, धर्म और अरब राष्ट्रवाद के विषयों की खोज में सादगी और लालित्य को जोड़ती है। क़ब्बानी अरब जगत के सबसे सम्मानित समकालीन कवियों में से एक हैं और उन्हें सीरिया का राष्ट्रीय कवि माना जाता है ।

नवीनतम

मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो