बहुत सारे सच
और बहुत सारे झूठ सुनने के बाद
इतना तय हुआ
दुनिया दोनों के साथ चलेगीचुनाव
जिसे आपत्ति है
वह दर्ज़ करवाए
मेरा अपना कुछ नहीं था
मुझे तो बस चुनना था
मैं क्या चुना सकता था?
मैं किसलिए चुनता?
लोगों के मन अपराध बोध से भरे थे
वे डरे सहमे थे
वे अपने ही खिलाफ थे
जब उनके निकट गया और जाना
वे सच के लिए झूठ बोल रहे थे
झूठ के लिए सच
वे चीज़ों को बचा रहे थे
वे अंतहीन बहस में थे
मुझे सच चुनना था
लेकिन झूठ की अनिवार्यता के साथ।
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नीलोत्पल ‘उज्जैन’
नीलोत्पल ‘उज्जैन’ ( जन्म - 23 जून, 1975 ) मूलतः रतलाम, मध्यप्रदेश से हैं और देश के माने हुए कवियों में से एक हैं। आपकी रचनाएँ समय-समय पे देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आपको वर्ष 2009 में विनय दुबे स्मृति सम्मान से भी सम्मानित किया गया।