कविताएँ : राकेश मलिक

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1.

प्रेम परिवर्तन ला देता है
उद्दंडता को दुख से भर देता है

और फिर गाँव के सबसे बदतमीज लड़के
बिल्कुल शांत हो जाते हैं

विश्व भर में शांति के लिए
प्रेम जिम्मेदार है या लड़कियों का चले जाना

पता नहीं
मगर

अब कभी काँच टूट जाए
या रसोई में रखा दूध पतीले से छलक पड़े

मैं नहीं सोचता कि
कुछ बुरा होगा
क्योंकि
तुम्हारा मुझसे अलग होने से बुरा
कुछ नहीं हो सकता

मैं जब तुम्हारे घर की तरफ़
अढ़ाई कदम बढ़ाता हूँ

तो वो पाँच कदम दूर चला जाता है

क्योंकि

मुझे पता है अब तुम वहाँ नहीं रहती

अब तुम्हारी कुछ चिंताएँ कम हो गयी होंगी

क्योंकि अब तुम्हें मिलने के लिए
हफ्तों पहले बहाने नहीं तलाशने होते हैं

तुम्हें पढ़ना कतई नहीं भाता था
मगर तुम्हारी पीठ पर मैं नाम लिखता तो

तुम मात्राओं की गलतियाँ भी पकड़ लेती थीं

तुम कितनी सरल थी
इतनी सरल की
मुझे तुम्हारा शोर और चुप्पी
दोनों पसंद थी

अब तुम में भी मेरी तरह चुप्पी ही बसी होगी

मुझे पता है तुम तुम्हारी चूड़ियों के शोर से
उतना ही चिढ़ती होगी
जितना प्रेम से मैं ।

2.

प्रेमी की लाल आँखों से
डर जाने वाली लड़कियाँ

बिल्ली की म्यांऊँ से
दुपट्टे में फोन छुपाने वाली
लड़कियाँ

प्रेमी के बाहर जाते वक्त
चोरी से पैसे देने वाली लड़कियाँ

हाथ लगाने से डर जाने वाली लड़कियाँ
गले लगने पर सिकुड़ जाने वाली लड़कियाँ

मां कि बिंदी लगाने वाली लड़कियाँ
चोरी से चुड़ियाँ पहनने वाली लड़कियाँ
चोरी छिपे व्रत करने वाली लड़कियाँ

जो अकारण प्रेम करती हैं
किसी पड़ोस के लड़के से

जिन्होंने इश्क किया
मर जाने की हद तक

कभी मंदिर जाने के बहाने देखना
कभी साथ की सहेली से किताबें लाने के बहाने

प्रेमी को देखना
जैसे ईश्वर को देखना

प्रेमी का गले लगना
जैसे मीरा को कृष्ण मिलना

अंततः पकड़ी जाने वाली लड़कियाँ
चली जाती हैं सजी कारों में
बैठकर

महज दो हफ्तों के भीतर
गुस्सैल पिताओं से मार खाकर

पिता
प्रेम में पकड़ी जाने वाली
लड़कियों का कन्यादान नहीं करते

पिंडदान करते हैं

पल्ले बाँंधते हैं किसी दारुबाज आदमी के
जो नशे में बेल्टें मारता है

जो हर शाम गालियाँ खाकर सोती हैं
दो लोगों की
एक पति की
एक प्रेमी की

इन लड़कियों  के आगे
ईश्वर पश्चाताप के लायक भी नहीं है

3.

सुना , देखा
जाना
और महसूस किया

एक देह के भीतर और
एक देह रहती है

तुम्हारी आंखों के
काले धब्बे
मेरी आंखों का
काजल हैं ।

तुम्हारे हिस्से के दुख
मेरी देह पर
सुख की पोशाकें बनकर
पहने जाते हैं

प्रेम की लिपि की
रचनाएँ
जानकर नहीं पहचानकर
लिखीं जाती हैं

प्रेम बुरा बिल्कुल नहीं
होता
आदमी बुरा हो जाता
है तो प्रेम भी बुरा
हो जाता है

ठीक वैसा नहीं होता
जैसा दादी कहती थीं
कि
गेहूँ पकने पे जेठ
आ जाता है

लेकिन मैंने तो जाना

जेठ आता है तो
गेहूँ पकता है

ऐसे ही

फिर महसूस होता है

जो शख्स नजर आए
जरुरी नहीं वो
जिंदा हो

जो शख्स हंसते रहे
जरूरी नहीं वो
खुश हो

प्रेम का अच्छा होने
का एक सबूत
ये भी है

ये दुनिया एक दूसरे
की नियामतों पे
जिंदा है ।

4.

प्रेम में थका हुआ
आदमी

मां की गोद ढूंढता है

उसके लिए इससे सुरक्षित
जगह कोई नहीं ।

किसी के चले जाने
के दुख से
बड़ा दुख है

उसका पास रहकर
भी दूर चले
जाना

और इस घाव को
दुनिया की कोई गोद

नहीं भर सकती

क्योंकि ऐसा आदमी
थकता नहीं

मर जाता है

और मरे हुओं को आग
नसीब होती है
गोद नहीं

5.

बचपन में पिता की डाँट
अखरती थी
मैं रोता तो माँ झोली भर प्रेम लुटाती
मैं चुप हो जाता

और मुझे लगता रोने से
प्रेम लौट आता है

जब युवा हुआ
तो एक उम्र भर के रोया
लेकिन प्रेम लौटकर नहीं आया

मुझे लगा
प्रेमिकाएं बस ईर्ष्या करने योग्य हैं
ये अच्छी माँएँ साबित नहीं हो सकती

लेकिन मैंने उसे उसको रोते बच्चों पर
प्यार लुटाते देखा

पच्चीस साल की जिंदगी में
दो चीजें सीखीं

एक ये कि माँओं के हिस्से छलना
नहीं लिखा गया

दूसरा ये माँ होने पे प्रेमिकाओं के
अंदर का छल सूख जाता है ।

राकेश मलिक
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राकेश मलिक रोहतक से हैं और मौज़ूदा वक़्त के नए मगर सशक्त कवियों में से एक हैं. आपसे malikrakesh1506@gmail पे बात की जा सकती है.

राकेश मलिक रोहतक से हैं और मौज़ूदा वक़्त के नए मगर सशक्त कवियों में से एक हैं. आपसे malikrakesh1506@gmail पे बात की जा सकती है.

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