कितना प्रामाणिक था उसका दुःख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास होता था
लेकिन दुःख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की
कुछ तुकों और लयबद्ध पंक्तियों की
माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे में मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री-जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी मत दिखाई देना।
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ऋतुराज
ऋतुराज का जन्म राजस्थान में भरतपुर जनपद में 10 फरवरी सन 1940 में हुआ।उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से अंग्रेजी में एम. ए. की उपाधि ग्रहण की। उन्होंने लगभग चालीस वर्षों तक अंग्रेजी-अध्ययन किया। ऋतुराज के अब तक के प्रकाशित काव्य संग्रहों में 'पुल पानी मे', 'एक मरणधर्मा और अन्य', 'सूरत निरत' तथा 'लीला अरविंद' प्रमुख है। वे वंचितों, उपेक्षितों और पीड़ितों के कवि है। इन्होंने मुख्यधारा से अलग समाज के हाशिए के लोगो की चिंताओ को ऋतुराज ने अपने लेखन का विषय बनाया है