आख़िरी कविता

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जा रहा हूँ मैं बुद्ध
इस दलहीन बौद्ध मठ से
जा रहा हूँ आनंद या दुःख में
पता नहीं
चला जा रहा हूँ मैं
चला जा रहा हूँ मुंबई, दिल्ली और कलकत्ते से भी
प्रेम से प्रेम न कर पाने से दूर चला जा रहा हूँ
जा रहा हूँ गौरैया, मुरमुरा, बस के टिकिट
जा रहा हूँ मैं ओ धुएं
जा रहा हूँ
चला जा रहा हूँ
क्या रह जायेगा नहीं सोच रहा हूँ,
नहीं सोच रहा हूँ क्या छोड़े जा रहा हूँ
पुत्र
चला जा रहा हूँ
नींद आएगी कि नहीं पता नहीं
चला जा रहा हूँ
रुदन को ठेल कर उठ आ रहे हैं पत्थर
रोक रहे हैं पहाड़
सब लांघ कर चला जा रहा हूँ
नवारूण भट्टाचार्य
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नवारूण भट्टाचार्य (23 जून 1948 – 31 जुलाई 2014) एक भारतीय बंगाली क्रांतिकारी और रेडिकल सौंदर्यशास्त्र के लिए प्रतिबद्ध लेखक थे। वह बहरामपुर (बहरामपुर), पश्चिम बंगाल में पैदा हुए थे। वह अभिनेता बिजोन भट्टाचार्य और लेखक महाश्वेता देवी की इकलौती सन्तान थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास हरबर्ट के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नवारूण भट्टाचार्य (23 जून 1948 – 31 जुलाई 2014) एक भारतीय बंगाली क्रांतिकारी और रेडिकल सौंदर्यशास्त्र के लिए प्रतिबद्ध लेखक थे। वह बहरामपुर (बहरामपुर), पश्चिम बंगाल में पैदा हुए थे। वह अभिनेता बिजोन भट्टाचार्य और लेखक महाश्वेता देवी की इकलौती सन्तान थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास हरबर्ट के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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