जहाँ बिल्ली को खदेड़ता
दिख जाएगा खरगोश
वहीं अपना घर बनाऊँगा

वहीं शीत वसंत लाऊँगा
वहीं लगाऊँगा
सेब, नारंगी संतरा

वहीं कामधेनु पोसूँगा
वहीं कवियों, बुलाऊँगा तुम्हें
और काव्य पाठ कराऊँगा
जहाँ बिल्ली भागती होगी
और पीछे से खदेड़ता होगा
खरगोश…

बद्रीनारायण

बद्रीनारायण हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। उन्हें हिंदी कविता में अपने विशिष्ट योगदान के कारण केदार सम्मान से सम्मानित किया गया है।

बद्रीनारायण हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। उन्हें हिंदी कविता में अपने विशिष्ट योगदान के कारण केदार सम्मान से सम्मानित किया गया है।

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मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो