पुरखों का कहन

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कविता : पुरखों का कहन

उनकी कविताओं में
शब्द नहीं बोलते
उनके बनाए चित्रों में
रंग नहीं बहकते
उनकी कहानियों में
तख़्त-ओ-ताज के लिए
ख़ून नहीं बहता
फिर भी वे
कविता करते हैं
चित्र बनाते हैं
कहानियाँ बाँटते हैं

कौन हैं वे लोग
जिन्होंने शब्दों-बोलियों को गरिमा बख़्शी
चित्रों को कामशास्त्र
अजन्ता नहीं होने दिया
कहानियों को अनुभव
और आनन्द के लिए ही
सुना और सुनाया
उसे इतिहास नहीं बनने दिया

कौन हैं वे लोग
जो नख-शिख वर्णन के बग़ैर
दुनिया का सबसे सुन्दर
प्रेमगीत गाते हैं!

वंदना टेटे

वंदना टेटे (जन्मः 13 सितम्बर 1969) एक भारतीय आदिवासी लेखिका, कवि, प्रकाशक, एक्टिविस्ट और आदिवासी दर्शन ‘आदिवासियत’ की प्रबल पैरोकार हैं। सामुदायिक आदिवासी जीवनदर्शन एवं सौंदर्यबोध को अपने लेखन और देश भर के साहित्यिक व अकादमिक संगोष्ठियों में दिए गए वक्तव्यों के जरिए उन्होंने आदिवासी विमर्श को नया आवेग प्रदान किया है।

वंदना टेटे (जन्मः 13 सितम्बर 1969) एक भारतीय आदिवासी लेखिका, कवि, प्रकाशक, एक्टिविस्ट और आदिवासी दर्शन ‘आदिवासियत’ की प्रबल पैरोकार हैं। सामुदायिक आदिवासी जीवनदर्शन एवं सौंदर्यबोध को अपने लेखन और देश भर के साहित्यिक व अकादमिक संगोष्ठियों में दिए गए वक्तव्यों के जरिए उन्होंने आदिवासी विमर्श को नया आवेग प्रदान किया है।

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