इह मेरा गीत

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कविता : इह मेरा गीत

इह मेरा गीत
किसे ना गाणा
इह मेरा गीत
मैं आपे गा के
भलके ही मर जाणा
इह मेरा गीत
किसे ना गाना

इह मेरा गीत धरत तों मैला
सूरज जेड पुराणा
कोट जनम तों प्या असानूं
इस दा बोल हंढाणा
होर किसे दी जाह ना काई
इस नूं होठीं लाणा
इह तां मेरे नाल जनम्या
नाल बहशतीं जाणा
इह मेरा गीत
मैं आपे गा के
भलके ही मर जाना

एस गीत दा अजब जेहा सुर
डाढा दरद रंञाणा
कत्तक माह विच दूर पहाड़ीं
कूंजां दा कुरलाणा
नूर-पाक दे वेले रक्ख विच
चिड़ियां दा चिचलाणा
काली राते सरकड़्यां तों
पौणां दा लंघ जाणा
इह मेरा गीत
मैं आपे गा के
भलके ही मर जाना

मैं ते मेरे गीत ने दोहां
जद भलके मर जाणा
बिरहों दे घर जाईआं सानूं
कबरीं लभ्भन आणा
सभनां सईआं इक आवाज़े
मुक्खों बोल अलाणा
किसे किसे दे लेखीं हुन्दा
एडा दरद कमाना

इह मेरा गीत
किसे ना गाणा
इह मेरा गीत
मैं आपे गा के
भलके ही मर जाणा
इह मेरा गीत
किसे ना गाना

शिव कुमार बटालवी
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शिव कुमार 'बटालवी' (1936 -1973) पंजाबी भाषा के एक विख्यात कवि थे, जो उन रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है।

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