बहुत अधिक, बहुत अधिक तुम्‍हें याद करता मैं रहा;
यह भी था कारण जो पत्र मैं लिख नहीं सका;
लिख नहीं सका, बस।
भावों का भार उन शब्‍दों से उठ नहीं सका,
लिखे-पढ़े जाते जो पत्रों में।
अन्‍य रूप शब्‍दों को देने का कौन अधिकार
आपके मेरे संबंध ने कभी मुझे दिया?
अतः विवश रहा, विवश रहा।
पढ़ लेते आप? यदि लिखता मैं
बार-बार-बार-बार- केवल वह एक नाम,
एक नाम, एक नाम …
आह !

शमशेर बहादुर सिंह

शमशेर बहादुर सिंह (1911 - 1993) आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के एक स्तंभ हैं। हिंदी कविता में अनूठे माँसल एंद्रीए बिंबों के रचयिता शमशेर आजीवन प्रगतिवादी विचारधारा से जुड़े रहे। तार सप्तक से शुरुआत कर चुका भी नहीं हूँ मैं के लिए साहित्य अकादमी सम्मान पाने वाले शमशेर ने कविता के अलावा डायरी लिखी और हिंदी उर्दू शब्दकोश का संपादन भी किया।

शमशेर बहादुर सिंह (1911 - 1993) आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के एक स्तंभ हैं। हिंदी कविता में अनूठे माँसल एंद्रीए बिंबों के रचयिता शमशेर आजीवन प्रगतिवादी विचारधारा से जुड़े रहे। तार सप्तक से शुरुआत कर चुका भी नहीं हूँ मैं के लिए साहित्य अकादमी सम्मान पाने वाले शमशेर ने कविता के अलावा डायरी लिखी और हिंदी उर्दू शब्दकोश का संपादन भी किया।

नवीनतम

मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो