न रवा कहिये न सज़ा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं मानता
सो रहेंगे कि जागते रहेंगे हम तिरे ख़्वाब देखते रहेंगे तू कहीं और ढूँढता रहेगा हम कहीं और ही खिले रहेंगे राहगीरों ने राह बदलनी है पेड़ अपनी जगह खड़े रहे हैं
Moreहम जी रहे हैं जान! तुम्हारे बग़ैर भी हर दिन गुज़र रहा है गुज़ारे बग़ैर भी सबके लिए किनारे पे होता नहीं कोई कुछ लोग डूबते हैं पुकारे बग़ैर भी जीते बग़ैर
Moreअपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है इक नज़र मेरी तरफ़ भी तिरा जाता क्या है मेरी रुस्वाई में वो भी हैं बराबर के शरीक मेरे क़िस्से मिरे यारों को सुनाता
Moreप्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था लम्बी दूरी
Moreबिछड़ा है जो इक बार तो मिलते नहीं देखा इस ज़ख़्म को हम ने कभी सिलते नहीं देखा इक बार जिसे चाट गई धूप की ख़्वाहिश फिर शाख़ पे उस फूल को
Moreतुम सरवत को पढ़ती हो कितनी अच्छी लड़की हो बात नहीं सुनती हो क्यूँ ग़ज़लें भी तो सुनती हो क्या रिश्ता है शामों से सूरज की क्या लगती हो लोग नहीं डरते रब
Moreआए हैं समझाने लोग हैं कितने दीवाने लोग वक़्त पे काम नहीं आते हैं ये जाने-पहचाने लोग जैसे हम इन में पीते हैं लाए हैं पैमाने लोग फ़र्ज़ानों से क्या बन आए
Moreकाजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत इतना असर है खादी के उजले लिबास में आज़ादी का ये जश्न
Moreन रवा कहिये न सज़ा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं मानता
Moreबात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी ले गया छीन के कौन आज तिरा सब्र ओ क़रार बे-क़रारी तुझे ऐ
More