निर्धन जनता का शोषण है कह कर आप हँसे लोकतंत्र का अंतिम क्षण है कह कर आप हँसे सबके सब हैं भ्रष्टाचारी कह कर आप हँसे चारों ओर बड़ी लाचारी कह कर आप हँसे कितने आप सुरक्षित होंगे मैं सोचने लगा सहसा मुझे अकेला पा कर फिर से आप हँसे...
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रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय (9/12/1929 – 30/12/1990) हिंदी के जाने-माने कवि, कथाकार, आलोचक, अनुवादक और पत्रकार रहे. उन्हें उनके काव्य संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ के लिए 1984 में साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया.