कितना ख़याल रखा है मैंने
अपनी देह का
सजती-सँवरती हूँ
कहीं मोटी न हो जाऊँ
खाती हूँ रूखी-सूखी
कहीं कमज़ोर न हो जाऊँ
पीती हूँ फलों का रस
अपनी देह का ख़याल रखते हुए
कितना ख़याल रखा है
मैंने तुम्हारे मन का
मेरे मन का ख़याल
कम से कम अगले जन्म में
ज़रूर रखना।

सविता भार्गव
सविता भार्गव, 5 सितंबर 1968 को विदिशा में जन्मीं, हिंदी साहित्य में डी. लिट हैं और कविता, थिएटर, सिनेमा में सक्रिय हैं। उनके काव्य-संग्रह 'किसका है आसमान' और 'अपने आकाश में' के साथ आलोचना पुस्तक 'कवियों के कवि शमशेर' प्रकाशित हुई है।
