तटस्थ के प्रति

1 min read
कविता : तटस्थ के प्रति

चैन की बाँसुरी बजाइये आप
शहर जलता है और गाइये आप
हैं तटस्थ या कि आप नीरो हैं
असली सूरत ज़रा दिखाइये आप

गोरख पाण्डेय

गोरख पाण्डेय ( 1945 - 1989 ) हिंदी में प्रगतिशील कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं. आपको आपकी प्रमुख कृतियाँ स्वर्ग से बिदाई, समय का पहिया, लोहा गरम हो गया है के लिए याद किया जाता है.

गोरख पाण्डेय ( 1945 - 1989 ) हिंदी में प्रगतिशील कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं. आपको आपकी प्रमुख कृतियाँ स्वर्ग से बिदाई, समय का पहिया, लोहा गरम हो गया है के लिए याद किया जाता है.

नवीनतम

मेरे मन का ख़याल

कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती

तब भी प्यार किया

मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही

फूल झरे

फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की

पाप

पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप

तुमने छोड़ा शहर

तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो