टोह में नहीं रहता मैं किसी शब्द की
कि वह आए और लिख लिख जाए
मर्ज़ी जब होगी तब आएगा
कोई भी रोक नहीं पाएगा
अदबदा कर आँसू ज्यों आँख से छलक आए ।
यक्-ब-यक् आ उतरेगा वर्क़ पर
जैसे अगले ज़माने का कोई दोस्त
बिना इत्तिला के आ खड़ा हो दर पर ।
[अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल]
संबंधित पोस्ट:

रसूल हमजातोव
रसूल हमजातोव (1923 - 2004) रूस के प्रतिनिधि कवियों में प्रमुख नाम हैं. आप मूलतः अवार भाषा में लिखते थे. आपकी कविताओं के अनुवाद दुनिया की बहुत सारी भाषाओं में हुए. आपको 1963 में अन्तर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया.