नोबल भाषण | नदीन गोर्डिमर

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महामहिम, शाही परिवार, महानुभाव, पुरस्कार विजेता साथियो, देवियो और सज्जनो,

जब मेरे एक दोस्त की छह वर्षीय बेटी ने उसके पिता को किसी को यह कहते हुए सुना कि मुझे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, तो उसने पूछा कि क्या वह पुरस्कार मुझे कभी पहले भी मिला था। उन्होंने उत्तर दिया कि पुरस्कार केवल एक बार मिल सकता है। बच्ची ने इस पर पल भर सोचा : ‘ओह’ उसने कहा, ‘यह तो चेचक की तरह है।’

हालाँकि, फ्लाबेर ने कहा था कि ‘सम्मान से लेखकों का अपमान’ होता है, और ज्याँ पॉल सार्त्र ने इस विशेष सम्मान को लेने से इनकार कर दिया था, मगर इसे चाहे अभिशाप कहा जाए या रोग माना जाए, मैं जीवन में दोनों अनुभवों से गुजरने के बाद अब निश्चित रूप से, इस पुरस्कार के जश्न भोज को बहुत सुखद और फायदेमंद पाती हूँ।

लेकिन वह बच्ची पूरी तरह से गलत नहीं थी। वास्तव में, लेखन एक तरह का दुख है जो सबसे ज्यादा अकेलेपन और आत्मविश्लेषण की माँग करने वाला पेशा है। मुझे महसूस होता है और मैंने पाया है कि हम लेखकों में उतना प्रोत्साहन और पागलपन नहीं है, जितना उन लोगों में देखने को मिलता है जो सामूहिक कार्यों में लगे हैं। हम मिलकर नहीं लिखते हैं; कवि अकेले गाते हैं, और गद्य लेखकों को कुछ पता नहीं होता कि क्या लिखा जाए, हर व्यक्ति की अभिव्यक्ति का साधन अलग होता है जिससे वह तारतम्य या असंगति का निर्माण करेगा। हमें अपने लेखन कार्य के लिए सामग्री जुटाने के लिए भरपूर जीना चाहिए, लेकिन हमें अकेले काम करना है। रोलों बार्थेस ने इस विरोधाभासी आंतरिक एकांत की वजह से हमारे लेखन को, जिन लोगों के बीच हम रहते हैं उनके और दुनिया के प्रति ‘जरूरी संकेत’ बताया है; यह सर्वोत्तम वस्तु देने के लिए आगे बढ़ा हुआ हाथ है।

जब मैंने युवावस्था में एक कट्टर जातिवादी और संकोची औपनिवेशिक समाज में लिखना शुरू किया, तब कई अन्य लोगों की तरह, मैंने महसूस किया कि मेरा अस्तित्व विचारों, कल्पना और सौंदर्य की दुनिया के छोर पर बहुत मामूली है। कविता और उपन्यास, नाटक, चित्रकला और मूर्तिकला को आकार देने के काम दूर-दराज के क्षेत्र के विशिष्ट लोगों के लिए थे जिन्हें ‘विदेशी’ के रूप में जाना जाता था। यह मेरे श्वेत और अश्वेत समकालीनों का सपना था कि हम कलाकारों की दुनिया में प्रवेश करने के लिए एकमात्र तरीके के तौर पर इस काम में जुट जाएँ। तब अहसास हुआ कि रंग भेद – जिसके लिए मैं नस्लवाद की पुरानी, ठोस छवि का इस्तेमाल करना चाहूँगी, वह काफ्का के दृष्टांत में ‘कानून के उस फाटक’ की तरह था, जो प्रार्थी के लिए उसकी पूरी जिंदगी बंद था क्योंकि वह यह नहीं समझ पाया कि उसे केवल वह खोल सकता है। इससे हमने जाना कि हमें बस यह करना था कि पूरी दुनिया की तलाश से पहले अपनी ही दुनिया में पूरी तरह से प्रवेश करें। हम अपनी ही खास जगह की त्रासदी के माध्यम से प्रवेश करना था।

अगर नोबल पुरस्कारों का कोई विशेष महत्व है, तो यह है कि वे इस अवधारणा को आगे बढ़ाते हैं। वे अपनी वैश्विक उदारता से इस बात को मानते हैं कि कोई भी अकेला समाज, देश या महाद्वीप पूरी दुनिया के लिए एक सही मायने में मानव संस्कृति का निर्माण करने की धृष्टता नहीं कर सकता है। अतीत और वर्तमान के पुरस्कार विजेताओं बीच में होने से लगता है कि कम से कम हम सब एक दुनिया के हैं।

(अनुवाद – सरीता शर्मा ;
नोबेल भोज में नदीन गोर्डिमर का भाषण , 10 दिसंबर 1991 )

नदीन गोर्डिमर

नदीन गोर्डिमर (20 नवम्बर 1923 – 13 जुलाई 2014) साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त कथाकार। दक्षिण अफ्रीका में जन्मी, पली, पढ़ी और बढ़ी नादीन व्यापक मनुष्य संवेदना के बारीक-शिल्प की कथाकार हैं। रंगभेद और उपनिवेशवाद के विरूद्ध काले बहुसंख्यकों के अधिकार और आजादी के लिए उन्होंने संघर्ष किया। स्त्री की वासना-छवि की पारंपरिकता को खंडित करते हुए उन्होंने कथा-वस्तु और कथा-शिल्प की एक भावुकता रहित शैली रची।

नदीन गोर्डिमर (20 नवम्बर 1923 – 13 जुलाई 2014) साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त कथाकार। दक्षिण अफ्रीका में जन्मी, पली, पढ़ी और बढ़ी नादीन व्यापक मनुष्य संवेदना के बारीक-शिल्प की कथाकार हैं। रंगभेद और उपनिवेशवाद के विरूद्ध काले बहुसंख्यकों के अधिकार और आजादी के लिए उन्होंने संघर्ष किया। स्त्री की वासना-छवि की पारंपरिकता को खंडित करते हुए उन्होंने कथा-वस्तु और कथा-शिल्प की एक भावुकता रहित शैली रची।

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