मैं ये सोच कर उस के दर से उठा था
कि वो रोक लेगी मना लेगी मुझ को
हवाओं में लहराता आता था दामन
कि दामन पकड़ कर बिठा लेगी मुझ को
क़दम ऐसे अंदाज़ से उठ रहे थे
कि आवाज़ दे कर बुला लेगी मुझ को
मगर उस ने रोका न मुझ को मनाया
न दामन ही पकड़ा न मुझ को बिठाया
न आवाज़ ही दी न मुझ को बुलाया
मैं आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता ही आया
यहाँ तक कि उस से जुदा हो गया मैं
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कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी का जन्म 14 जनवरी 1919 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था. कैफ़ी आज़मी उर्दू के एक अज़ीम शायर थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं. साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. इतना ही नहीं उन्हें साहित्य अकादमी फैलोशिप से भी सम्मानित किया जा चुका है. राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा उन्हें कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.