ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिये
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था लम्बी दूरी
Moreबिछड़ा है जो इक बार तो मिलते नहीं देखा इस ज़ख़्म को हम ने कभी सिलते नहीं देखा इक बार जिसे चाट गई धूप की ख़्वाहिश फिर शाख़ पे उस फूल को
Moreआए हैं समझाने लोग हैं कितने दीवाने लोग वक़्त पे काम नहीं आते हैं ये जाने-पहचाने लोग जैसे हम इन में पीते हैं लाए हैं पैमाने लोग फ़र्ज़ानों से क्या बन आए
Moreकाजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत इतना असर है खादी के उजले लिबास में आज़ादी का ये जश्न
Moreन रवा कहिये न सज़ा कहिये कहिये कहिये मुझे बुरा कहिये दिल में रखने की बात है ग़म-ए-इश्क़ इस को हर्गिज़ न बर्मला कहिये वो मुझे क़त्ल कर के कहते हैं मानता
Moreअजीब आदमी था वो मोहब्बतों का गीत था बग़ावतों का राग था कभी वो सिर्फ़ फूल था कभी वो सिर्फ़ आग था अजीब आदमी था वो वो मुफ़लिसों से कहता था कि
Moreउस शाम के मुहाने पे उस शब के सिरहाने से वादियों के ख़ामोशी में पेड़ों के सरसराहट से सरकती हुई तुम्हारी मुस्कुराहट बोलों के बीच तुम्हारी मीठी सी सांस की आवाज़ जावेदां
Moreबात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी ले गया छीन के कौन आज तिरा सब्र ओ क़रार बे-क़रारी तुझे ऐ
Moreबे-क़रारी सी बे-क़रारी है वस्ल है और फ़िराक़ तारी है जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है निघरे क्या हुए कि लोगों पर अपना साया भी
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