ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिये
तुझसे तो कोई गिला नहीं है क़िस्मत में मेरी सिला नहीं है बिछड़े तो न जाने हाल क्या हो जो शख़्स अभी मिला नहीं है जीने की तो आरज़ू ही कब थी
More‘निराला’ जी को स्मरण करते हुए एकाएक शांतिप्रिय द्विवेदी की याद आ जाए, इसकी पूरी व्यंजना तो वही समझ सकेंगे जिन्होंने इन दोनों महान विभूतियों को प्रत्यक्ष देखा था। यों औरों ने
Moreश्रीचरणकमलेषु, आज हमारे विवाह को पंद्रह वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक मैंने कभी तुमको चिट्ठी न लिखी। सदा तुम्हारे पास ही बनी रही – न जाने कितनी बातें कहती सुनती रही,
Moreमैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो। पर वे बुजुर्ग कह रहे थे – आप ठीक कहते हैं, मगर रिश्तेदारों में नाक कट
Moreचाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा बुझ गई आस छुप गया तारा थरथराता रहा धुआँ तन्हा ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं जिस्म तन्हा है और जाँ
More1. प्रेम लिपि तुम्हारी दैहिक शुचिता को दैविकता मानकर; क्षण-क्षण ठगा जाना, स्वीकार किया मैंने! मैं हारती चली गई ; तुम जीतते गए हर बार! सर्वस्व अर्पण, समर्पण; मेरे प्रेम की लिपि
More1. फिर नफ़रतों ने इश्क़ की मीनार तोड़ दी दरवाज़ा जब न टूटा तो दीवार तोड़ दी फूलों से उसको प्यार है तोड़ा नहीं उन्हें उसने कली मेरे लिए इक बार तोड़
More1. मेरा दुश्मन मेरे अंदर से उभर आया है मेरा साया ही मुझे ग़ैर नज़र आया है इश्क़ में सर भी झुका और अना भी डूबी ओखली झूम के नाची है कि
Moreलब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी ज़िंदगी शम्अ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी! दूर दुनिया का मिरे दम से अँधेरा हो जाए! हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो
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