उपक्रम

बुझी हुई रातों की करवटों में ऊंघते अनमने ढंग से सन्नाटे और अंधेरे में मैंने बो रखी हैं कुछ तस्वीरें कुछ मोह-पाश जो तेज झंझावात में पानी की तरह बह निकलते हैं

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