प्रेम

उन रास्तों से मैं कभी नहीं आना चाहता था जहाँ लिखा था कि प्रेम यही उत्पन्न हुआ वहाँ तुम्हारी तासीर थी और एक अनकही गन्ध जो बांधे रही समय दर समय कितनी

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