स्त्री

स्त्री के अंदर अगर झाँक सको तो देखना वहाँ असंख्य कविताएँ आज भी दम तोड़ रही हैं चूल्हे की भट्टी परिवार की जिम्मेदारी बच्चों के प्रति ख़ुद का समर्पण इन सबों की

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