चाहे मुझे इतिहास में निचला दर्जा दो अपने कटु, विकृत झूठ के साथ, भले ही कीचड़ में सान दो फिर भी, धूल की तरह, मैं उठ जाऊँगी मेरी जिंदादिली से परेशान हो
ऐ काल, न तू इतरा, भले ही बोल रहे कुछ, बली-भयंकर तुझको, पर इन पदों से तू च्युत। और, वो, जिनको तुम समझ रहे, तुमने मारा है, मरे नहीं, मैं भी अपार,
Moreसर्दियों की ख़ूबसूरत दोपहर… सर्दी बहुत तेज़ है। नाद्या ने मेरी बाँह पकड़ रखी है। उसके घुंघराले बालों में बर्फ़ इस तरह जम गई है कि वे चांदनी की तरह झलकने लगे
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