लिखती हुई औरतें

इन दिनों झुंड में बैठकर जंतसार गाते हुए तुम्हारे पोथी-पतरा, वेद-पुराण को धता बताकर धर्म की चौखट लाँघ लिख रही हैं औरतें वे लिखती हैं प्रेम वे लिखती हैं विरह वे लिखती

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