नूर मियाँ

आज तो चाहे कोई विक्टोरिया छाप काजल लगाये या साध्वी ऋतंभरा छाप अंजन लेकिन असली गाय के घी का सुरमा तो नूर मियाँ ही बनाते थे कम से कम मेरी दादी का

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