ठगे जाने में संतोष

मुझे अपनी कविताओं से भय होता है, जैसे मुझे घर जाते हुए भय होता है। * अच्छे आदमी बनो – रोज मैं सोचता हूँ। क्या सोच कर अच्छा आदमी हुआ जा सकता

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