नींव की ईंट हो तुम दीदी

पीपल होतीं तुम पीपल, दीदी पिछवाड़े का, तो तुम्हारी खूब घनी-हरी टहनियों में हारिल हम बसेरा लेते हारिल होते हैं हमारी तरह ही घोंसले नहीं बनाते कहीं बसते नहीं कभी दूर पहाड़ों

More